Sangeeta singh

Add To collaction

भानगढ़ का किला, कितना सच कितना फसाना

भानगढ़ किला ,भारत में  स्थित डरावने किलों में से एक।

राजस्थान प्रसिद्ध है अपने किलों ,शिल्प,बहादुरी ,रेत,और यहां  के जीवन  जो बेरंग नहीं ,सबकुछ रंग बिरंगा है।

राजस्थान के अलवर जिले में बसा भानगढ़ का किला कभी अपनी शानो शौकत के लिए मशहूर था।

15वी_16वी सदी में बना यह किला कई रहस्य समेटे है,अनेक किवदंतियां यहां जनमानस द्वारा सुनाई जाती है।

इतना तक कि पुरातत्व विभाग द्वारा यहां एक बोर्ड लगाया गया है,जिसमें लिखा है कि ,यहां  रात में रुकना मना है।

भानगढ़ का निर्माण  राजा भगवान दास ने कराया था।
यह मान सिंह के भाई माधो सिंह की राजधानी भी रही है।

अनेक मिथकों और किवदंतियों को सुनने और उसकी वास्तविकता जानने के उद्देश्य से शिवा और राजेश दोनों वहां जाने का फैसला करते हैं।उनका एक ही उद्देश्य था रोमांच और जानकारियां। रोमांच के चक्कर में कभी कभी वे मुसीबत में भी फंस जाते थे,लेकिन खतरों से खेलना उन्हें अच्छा लगता था।

वे वहां पहुंचते हैं ,वहां  उन्होंने देखा एक किले के अंदर  ही सारा शहर ही मौजूद था।
बाजार,मंदिर,रानियों के रनिवास, बाग,बावड़ियां,,मंदिर ,कोठा जहां अमीर अपना मन बहलाने जाते थे,सब कुछ उसी परिसर में था,एक समृद्ध शहर था।

लेकिन आश्चर्य ज्यादातर   मकान के उपर छत नहीं थी।
वहां एक गाइड ने बताया ,ये एक साधु का श्राप था कि यह नगर उजड़ जाएगा।
हुआ ये कि  इस स्थान पर  कुछ दूर पर साधु बालूनाथ की तपस्थली थी,जब यहां किले का निर्माण शुरू हुआ तो ,बालूनाथ ने राजा को चेतावनी दी थी कि किले की ऊंचाई इतनी न हो  कि,जहां से उनके साधनास्थल पर  इसकी परछाई पड़े,लेकिन किला बनाते वक्त साधु की बातों को नजर अंदाज किया गया।इसका परिणाम उजड़े ,वीरान शहर के रूप में मिला।

दूसरी कहानी थी ,जादूगर के शाप की जिसने  प्यार में असफल हो इस नगरी को शापित किया था।

और सबसे ठोस वजह थी ,1783 में आए अकाल की,जिससे यह नगर तबाह हो गया।

शिवा और राजेश दिन में घूमते रहे,उन्हें बताया गया कि देश के कई मशहूर न्यूज चैनल भी अपनी पड़ताल कर गए  हैं, लेकिन  सबने एक नकरात्मक ऊर्जा महसूस की।
किसी भूत प्रेत,पायल की झंकार और थप्पड़ खाते लोगों ने जो हउवा बनाया था ,ऐसा कुछ भी नहीं मिला था वहां।

सूरज ढलते ही सभी पर्यटकों से किला खाली करा दिया गया।
शिवा और राजेश भी मन मसोस कर निकल लिए।

रात उनके दिमाग में फिर से वहां जाने का ख्याल आया।
रात के करीब 1बजे थे , दोनों मोबाइल ,टॉर्च, छुरी,और जरूरी सामन लेकर पहुंच गए।दिन में उन्होंने एक जगह दीवार में आने जाने भर का छेद देखा था।वे वहीं से घुस गए।
भीषण अंधेरा था।
सभी जगह सुनसान था।एक जगह तहखाने की तरह बना था,जहां उन्हें  गाइड ने  बताया  था कि ,ये राजकुमारी रत्नावली  का स्नानगृह था।  वहां नीचे से  उस समय रोशनी आ रही थी,झांककर देखा ,तो कुछ तांत्रिक वहां सिद्धियां प्राप्त करने हेतु साधना  कर रहे थे।वे  दोनों दबे पांव वहां  से चुप चाप  निकल गए।

ज्यादातर जगहों में तांत्रिक अपनी तंत्र साधना करते मिले।
दोनों सारे किले में घूमते रहे लेकिन कोई भी रहस्यमई ,भूत प्रेत के दर्शन क्या, एक भी डरावनी आवाज  तक नहीं सुनी उन्होंने ।
दोनो जब लौटे तो सुबह के 5 बजने वाले थे। सूर्य  देवता अंधकार के साए से खुद को निकाल एक नई सुबह देने को तैयार थे।

दोनों ने यही निष्कर्ष निकाला कि,सालों साल से जब कोई चीज़ बंद होती है तो वहां नकारात्मक ऊर्जा का बास होता है। खिड़की ,दरवाजे बंद होने से ऑक्सीजन कम हो जाता है ,जिससे घुटन महसूस होती है ,और ऐसा लगता है कि कोई गला घोंट रहा हो।
निर्जन , वीरान  स्थानों पर चमगादड़ आसानी से डेरा बना लेते हैं।
शिवा और राजेश ने इस किले को रहस्यमई न बता ,लोगों के बीच डाला भ्रम ,और डर बताया।
अब उनका अगला पड़ाव है ,भारत के दूसरे भूतिया किले की पड़ताल का......।

सौजन्य_गूगल और अन्य स्रोत
कहानी रेखांकन_संगीता


   5
2 Comments

🤫

19-Dec-2021 09:25 PM

शानदार प्रस्तुति है आपकी

Reply

Gunjan Kamal

19-Dec-2021 08:54 PM

बिल्कुल सही शानदार प्रस्तुति दी

Reply